यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने देश की सभी यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट प्रोग्राम में साइबर सुरक्षा सब्जेक्ट को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्देश दिया है। UGC ने सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को साइबर सुरक्षा स्टार्टअप, हैकथॉन पर काम करने को भी कहा है। इस बारे में आयोग के सचिव प्रो. रजनीश जैन ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और यूनिवर्सिटी के कुलपतियों को पत्र लिखा है।
स्कूल स्तर से ही शुरू हो जागरुकता
अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि मौजूदा दौर में इंफॉर्मेशन और कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी की मदद से लोग आपस में संपर्क, सॉफ्टवेयर और सेवाएं का इस्तेमाल करते हैं। यह इरादतन या अकस्मात, मानव निर्मित या प्राकृतिक घटनाओं के लिहाज से काफी संवेदनशील है। ऐसे में साइबर सुरक्षा आज की जुड़ी हुई दुनिया में प्रमुख चिंता का विषय बन चुका है। ऐसे में यह फैसला किया गया है कि स्कूल स्तर पर ही साइबर सुरक्षा को लेकर जागरूकता शुरू होनी चाहिए। जिसमें बाद में आईआईटी और उच्च शिक्षा स्तर पर साइबर सुरक्षा के आक्रामक तथा रक्षात्मक पहलू शामिल हों।
दुनिया के लाखों बच्चों पर साइबर क्राइम खतरा बढ़ा
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी UNICEF के मुताबिक दुनिया भर में कोरोना महामारी के कारण स्कूलों के बंद होने से 1.5 बिलियन से ज्यादा बच्चे और युवा प्रभावित हुए हैं। ऐसे में वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर ज्यादा समय बिताने की वजह से दुनिया भर में लाखों बच्चों पर ऑनलाइन यौन शोषण, हिंसा और साइबर क्राइम खतरा बढ़ा गया है। इससे पहले नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने मई में छात्रों में इंटरनेट के सुरक्षित, कानूनी और नैतिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों के साथ ही पेरेंट्स की भूमिका को परिभाषित करते हुए स्कूलों के लिए गाइडलाइंस जारी की थी।
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यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने देश की सभी यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट प्रोग्राम में साइबर सुरक्षा सब्जेक्ट को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्देश दिया है। UGC ने सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को साइबर सुरक्षा स्टार्टअप, हैकथॉन पर काम करने को भी कहा है। इस बारे में आयोग के सचिव प्रो. रजनीश जैन ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और यूनिवर्सिटी के कुलपतियों को पत्र लिखा है।
स्कूल स्तर से ही शुरू हो जागरुकता
अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि मौजूदा दौर में इंफॉर्मेशन और कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी की मदद से लोग आपस में संपर्क, सॉफ्टवेयर और सेवाएं का इस्तेमाल करते हैं। यह इरादतन या अकस्मात, मानव निर्मित या प्राकृतिक घटनाओं के लिहाज से काफी संवेदनशील है। ऐसे में साइबर सुरक्षा आज की जुड़ी हुई दुनिया में प्रमुख चिंता का विषय बन चुका है। ऐसे में यह फैसला किया गया है कि स्कूल स्तर पर ही साइबर सुरक्षा को लेकर जागरूकता शुरू होनी चाहिए। जिसमें बाद में आईआईटी और उच्च शिक्षा स्तर पर साइबर सुरक्षा के आक्रामक तथा रक्षात्मक पहलू शामिल हों।
दुनिया के लाखों बच्चों पर साइबर क्राइम खतरा बढ़ा
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी UNICEF के मुताबिक दुनिया भर में कोरोना महामारी के कारण स्कूलों के बंद होने से 1.5 बिलियन से ज्यादा बच्चे और युवा प्रभावित हुए हैं। ऐसे में वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर ज्यादा समय बिताने की वजह से दुनिया भर में लाखों बच्चों पर ऑनलाइन यौन शोषण, हिंसा और साइबर क्राइम खतरा बढ़ा गया है। इससे पहले नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने मई में छात्रों में इंटरनेट के सुरक्षित, कानूनी और नैतिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों के साथ ही पेरेंट्स की भूमिका को परिभाषित करते हुए स्कूलों के लिए गाइडलाइंस जारी की थी।
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Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today December 03, 2020 at 01:07PM
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